आज के समय में आधार कार्ड और पैन कार्ड KYC के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज है। अब मान लीजिये की आपके इन दस्तावेजों की कॉपी बनाकर कोई इसका दुरूपयोग करे और आपके नाम पर बैंक अकाउंट खोले, या बैंक से लोन ले, या किसी तरह का घोटाला कर दे।
अब अगर आपके नाम से हुए घोटालों की कोई शिकायत कर दे तो पुलिस आपसे पूछताछ करने के लिए आएगी। अब चाहे आपको उस घोटाले से जुड़ी कोई जानकारी न हो लेकिन फिर भी अपने आपको बेकसूर साबित करना आपके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।
इसी तरह के कुछ Scam स्टॉक मार्केट में बढ़ते जा रहे है। इसमें से सबसे ज्यादा सेबी के पंजीकृत RA और IA का है। अब सेबी के साथ जुड़े एडवाइजर की जानकारी सेबी वेबसाइट पर उपलब्ध होती है, अब ये जानकारी ट्रेडर के लिए जो उनकी सेवाए लेना चाह रहे हो। लेकिन Scammer इस डाटा का गलत इस्तेमाल कर रहे है।
वह इस नंबर को वहां से लेकर एक फेक वेबसाइट में इस्तेमाल करते है और ट्रेडर को एडवाइजरी सर्विस के जाल में फसाते है जिससे आखिर में ट्रेडर को काफी पैसो का नुकसान उठाना पड़ता है और साथ में इससे रजिस्टर्ड RA और IA की प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है।
आइये इसे थोडा विस्तार में जानते है कि किस तरह से ये Scam शुरू होता है और इसका नतीजा क्या होता है।
रजिस्टर्ड एडवाइजर की पहचान को कैसे चुराया जाता है?
जैसे कि बताया गया है की सेबी से जुड़े स्टॉक ब्रोकर और एडवाइजर की जानकारी सेबी की वेबसाइट पर दी गयी होती है। Scammer ये जानकारी वहां से चुराते है और टेलीग्राम या नकली वेबसाइट पर इस्तेमाल कर ट्रेडर को फसाते है।
ट्रेडर जिनको ये Scam का अंदाजा भी नहीं होता कभी अकाउंट हैंडलिंग, कभी गलत एडवाइजरी या प्रॉफिट शेयरिंग जैसे धोखाधड़ी का शिकार हो जाते है। इसके साथ क्योंकि वह एक रजिस्टर्ड एडवाइजर नहीं होते तो ऐसे में वह कई बार ज्यादा शुल्क भे चार्ज करते है जिससे ट्रेडर का नुकसान कई गुना तक बढ़ जाता है।
इस तरह के Scam का क्या असर पड़ता है?
अब इस तरह कि धोखाधड़ी से सिर्फ ट्रेडर को नुकसान नहीं होता बल्कि इससे रजिस्टर्ड एडवाइजर जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग हुआ होता है उनकी प्रतिष्ठा और पहचान पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
अब जो ट्रेडर अनजाने में गलत एडवाइजरी सर्विस का उपयोग कर रहे होते है वह नुकसान होने पर इसकी शिकायत सेबी में करते है। अब जब सेबी उस शिकायत के आधार पर रजिस्टर्ड एडवाइजर से पूछताछ करता है तो उन्हें कुछ अलग ही कहानी का पता चलता है।
आजकल आये दिन इस तरह के case सामने आ रहे है। अब ज़्यादातर Case में रजिस्टर्ड एडवाइजर को इसकी जानकारी नहीं होती है लेकिन हमारे समक्ष कुछ ऐसे भी Case आये है जहा पर रजिस्टर्ड एडवाइजर ने अपने रजिस्ट्रेशन नंबर को खुद ही किराये पर अलग-अलग लोगो को दिया होता है।
यानी की एक ही नंबर का उपयोग कोई वेबसाइट पर तो कोई टेलीग्राम में कर ट्रेडर को ठग रहे होते है।
ऐसे में ये और भी ज़रूरी हो जाता है कि सेबी अपनी गतिविधियों को थोड़ा और तेज़ी से बढ़ाये और इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए कड़े नियम बनाए।
सेबी किस तरह से इस तरह कि धोखाधड़ी को रोक सकता है?
इस तरह के Scam को रोकने के लिए सेबी को सबसे पहले अपने नियम पर फिर से विचार करना चाहिए और जो रजिस्टर्ड एडवाइजर इस तरह के सकाम के साथ जुड़े है उनके विरुद्ध कड़ी करवाई करनी चाहिए।
साथ ही जो Scammer इस तरह के डाटा की चोरी कर ट्रेडर के साथ ठगी कर रहे है उनके विरुद्ध भी सेबी को एक सख्त निर्णय लेना चाहिए।
अब आगे इस तरह की ठगी और धोखाधड़ी न हो उसके लिए अभी के रेगुलेशन की कमियों पर नज़र डालनी चाहिए जैसे की कम्यूनिकेट करने का जरिया।
सेबी को ये नियम बनाना चाहिए की रजिस्टर्ड एडवाइजर सिर्फ अपने Domain ईमेल का उपयोग कर ही अपने क्लाइंट के साथ जुड़ सकते है।
दूसरा है payment लेने का तरीका। अब सेबी के नियमो के अनुसार, एक रजिस्टर्ड एडवाइजर सिर्फ NEFT, RTGS, Demand Draft या UPI के माध्यम सी ही फीस प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसमें दिक्कत ये है कि बहुत से ट्रेडर को इसकी जानकारी ही नहीं होती और वह अन्य तरीको से और बिना सत्यापित करें ही ट्रेडर फीस या अन्य शुल्क ट्रान्सफर कर देते है।
हालिं में सेबी ने एक एडवाइजर के ऊपर जुर्माना लगाया है क्योंकि वह Razorpay का इस्तेमाल कर शुल्क प्राप्त कर रहा था। अब निवेशक और ट्रेडर इस माध्यम से फीस इसलिए डे रहे the क्योंकि उन्हें ये ज्ञात ही नहीं था कि ये सेबी के नियमो के विरुद्ध है।
सेबी को ऐसे में ज्यादा से ज्यादा निवेशक और ट्रेडर को जागरूक करने के लिए वेबीनर और सेमिनार रखने चाहिए और साथ ही इस तरह की कमी को दूर करने के लिए एक payment गेटवे प्रदान करना चाहिए जिसके बहार एक रजिस्टर्ड एडवाइजर किसी भी तरह का शुल्क प्राप्त नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
Fake Advisory सर्विस दिनों दिन बढती ही जा रही है जिस पर सेबी और उसे जुड़े रजिस्टर्ड एडवाइजरी को ध्यान देने के बहुत ज्यादा ज़रुरत है।
अगर RAs और IAs अपनी डिजिटल पहचान की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाएं और निवेशकों को जागरूक करें, तो वे अपनी प्रतिष्ठा बचा सकते हैं और ईमानदारी से अपने ग्राहकों की सेवा जारी रख सकते हैं।
इसके साथ ही, SEBI का नियमों को सख्त करना और लोगों को इस बारे में जानकारी देना बेहद जरूरी है, ताकि इस तरह की चोरी को रोका जा सके।
निवेशकों को भी अपनी तरफ से सतर्क रहना चाहिए और जो भी उन्हें वित्तीय सलाह दे रहा है, उसकी सही जानकारी जांचनी चाहिए। आज के समय में, जब सारी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाती है, तो जागरूक और सतर्क रहना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है।